नई दिल्ली, बैंक डिपॉजिट से लेकर क्रेडिट कार्ड, बिलों के पेमेंट पर इस समय इनकम टैक्स विभाग की कड़ी नजर है. कुछ संदिग्ध महसूस करने पर वह आपसे सवाल जवाब कर सकता है.
किसी व्यक्ति के खाते में किसी एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक कैश डिपॉजिट होने की सूचना बैंक आईटी विभाग को देंगे.
एक ही वित्तीय वर्ष में करवाई गईं एफडी जोकि कुल मिलाकर 10 लाख रुपये या इससे हो जाती हों, उनकी भी सूचना आपके बैंक को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होगी. मगर इसमें वे एफडी शामिल नहीं होंगी जिनका रीन्यूल करवाया गया हो.
यदि आपने अपने क्रेेडिट कार्ड से 1 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत का बिल भरा है तब भी यह सूचना आईटी विभाग को दी जाएगी.
किसी एक वित्तीय वर्ष में क्रेडिट कार्ड पेमेंट भुगतान चाहे चेक से करें या नेट-बैंकिंग के जरिये, यह 10 लाख रुपये या उससे अधिक है तब इसकी भी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी.
इनकम टैक्स विभाग ने फिर इस बात को दोहराया कि
नोटबंदी के ऐलान के बाद 8 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक बैंक खातों में ढाई लाख से अधिक जमा की सूचना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाए.
करंट खातों के मामले में 9 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर तक किसी एक खाते में जमा हुए कुल 12.5 लाख रुपये की सूचना इनकम टैक्स विभाग को दिए जाने का निर्देश है.
किसी एक व्यक्ति से प्राप्त हुई रसीदें (बॉन्ड्स या डिबेंचर लेने के लिए) यदि किसी कंपनी या संस्थान में दाखिल या जमा की गई हैं और वे एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक हैं तो इसकी सूचना भी वह कंपनी या संस्थान इनकम टैक्स विभाग को देगा.
अब यदि आप म्यूचुअल फंड्स में या फिर शेयर्स के बायबैक में पैसा लगाते हैं तब भी इस सीमा पर नजर रखी जाएगी और सवाल किया जा सकता है. ट्रैवलर चेक और फोरेक्स कार्ड जिसकी कुल कीमत 10 लाख रुपए (किसी एक वित्तीय वर्ष में) हो तो यह भी इनकम टैक्स विभाग को सूचित करना होगा.30 लाख रुपए या इससे अधिक की प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त की सूचना इनकम टैक्स विभाग को देनी होगी.
साल भर में 10 लाख से ज्यादा जमा पर पूछताछ
