भोपाल, आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय, भोपाल में प्रत्येक रविवार को आयोजित परम्परा, नवप्रयोगों एवं नवांकुरों के लिए स्थापित ‘‘उत्तराधिकार’’ श्रृंखला अंतर्गत सुश्री पायल येवले एवं सुश्री नुपुर माहौर ने अपनी भरतनाट्यम् युगल नृत्य की प्रस्तुतियाँ गुरू वंदना से आरंभ की।
गुरू को नमन करने के उपरांत नृत्य परम्परानुसार दीपांजली में दीप पृज्वलित करते हुए हिमांचल पुत्री को प्रणाम कर विश्व कल्याण के लिए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। इसके बाद अलारिपु, तोडयमंगलम्, अष्टपदि, भो-शम्भो, तिल्लाना एवं श्लोक की प्रस्तुति से सभी के मंगल की कामना करते हुए अपनी नृत्य प्रस्तुति को विराम दिया। आज उत्तराधिकार कार्यक्रम के दूसरे चरण में पाली राजस्थान से आए गणेश दास एवं साथियों द्वारा तैरहताली, भवई, घूमर और चरी राजस्थानी लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया गया।