मुंबई, मुंबई नगरीय निकाय के चुनाव नतीजे आने के बाद से महाराष्ट्र की दलीय राजनीति में नए समीकरणों की चाहत तेज हो गई है. सेना और भाजपा के बीच जारी मनमुटाव के बीच कांग्रेस के राजनीतिक दांव-पेंच खास रूप से अहम हो गए हैं. वह किंगमेकर की भूमिका में दिख रही है. शिवसेना के साथ उसकी नजदीकियों खबर सरगर्म हैं.
हालांकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडक़री सेना को भाजपा के साथ आने का आहवान कर चुके हैं. अंदरखाने से आ रही खबरों के मुताबिक वह सेना को साधने का भरसक प्रयत्न कर भी रहे हैं. इस बीच कांग्रेस ने दांव खेलते हुए शिवसेना को कहा है कि किसी गठबंधन पर चर्चा तभी होगी जब कि सेना फड्नवीस सरकार को दिया जा रहा समर्थन वापस ले. सेना एैसा कर भी सकती है. हाल के दिनों में भाजपा की विस्तारवादी नीति से कड़वी दवा चखने को मजबूर रही सेना कांग्रेस से हाथ मिलाकर भाजपा को राज्य और मुंबई की नगर सरकार से दूर कर सकती है.उधर,शिवसेना नेता दिवाकर रावते ने संभावित नए गठबंधन बनाने को यह कहते हुए हवा दी है कि भाजपा के साथ गठबंधन की बातें तभी खत्म हो गई थी जब दोनों दलों ने अलग होकर चुनाव लड़ा था.
गौरतलब है शिवसेना और भाजपा की मुंबई में क्रमश: 84 और 82 सीटें हैं. जबकि 114 सीटों के साथ ही स्थानीय निकाय पर काबिज हुआ जा सकता है.इधर,महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण का कहना रहा है कि अगर शिवसेना को सहयोग चाहिए तो राज्य सरकार में उसे भाजपा का साथ छोडऩा होगा. हालांकि सेना 4 निर्दलीय पार्षदों का समर्थन जुटाकर पहले ही अपन 88 पार्षद कर चुकी है.