कोलकाता. पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी सरकार की आरक्षण नीति का विरोध किया जाने लगा है.इस मामले का सबसे ज्यादा विरोध दलित,शोषित और पिछड़ी जातियों के बीच काम करने वाले स्वयं सेवी संगठन कर रहे हैं.बंगाल के पिछड़ा वर्ग आयोग की हालिया रिपोर्ट के बाद यह विरोध और बढ़ गया है.
क्योंकि वहां अब 95 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय को आरक्षण का लाभ मिल रहा है.जबकि पिछड़ा वर्ग आयोग ने कई और मुस्लिम जातियों को ओबीसी में शामिल कर उनकी करीब 113 जातियों-उपजातियों को ओबीसी की श्रेणी में शामिल कर लिया है. इस वजह से अन्य पिछड़ी जातियों को नुकसान हो रहा है. इस फायदे के बाद करीब 2 करोड़ 47 लाख मुसलमानों को प्रदेश में आरक्षण का लाभ मिलने लगा है.जो प्रदेश की मुसलमान आबादी का 95 प्रतिशत है.
राज्य में 17 प्रतिशत नौकरी अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हैं. बंगाल में इन दिनों सरकारी स्कलों में प्राइमरी अध्यापकों की भर्ती चल रही है और करीब 7480 लोगों का चयन ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत किया गया है.
इस प्रकार आधे से अधिक लोग आरक्षण के जरिए भर्ती किए गए हैं.गौरतलब है कि गत वर्ष 3000 एमबीबीएस और बीडीएस सीटों में से 400 मुसलमान छात्रों के लिए आरक्षित थीं.
इसबीच एससी, एसटी और ओबीसी के लिए काम करने वाले एनजीओ का कहना है कि रिजर्वेशन कोटा लागू करना असंवैधानिक है. एनजीओ ने राज्य सरकार के आरक्षण सिस्टम के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में केस किया है. इस केस पर आखिरी सुनवाई 23 अप्रैल को होगी.