संस्कृति मां के समान : भागवत

उज्जैन. आरएसएस के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा है कि शहरों की तुलना में गांव और जंगल में रहने वाले लोग अपनी संस्कृति के साथ अधिक सहज दिखाई देते हैं. संस्कृति को मां के समान बताते हुए सरसंघचालक ने कहा कि जब संस्कृति प्रकृति के साथ संबंध स्थापित कर लेती है,तो वह मां के समान हो जाती है. उन्होंने कहा इसीलिए भारत गांव में बसता है.
संस्कृति और विकास के अंर्तनिहीत संबंधों का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा कि भौतिकवाद से प्रगति कर सुविधाएं जुटाई जा सकती है,परन्तु सुख की कामना कठिन होती है.
वह माधव सेवा न्यास में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रान्त के ग्राम संगम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. जिसमें प्रान्त के 436 गाँवों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की. उन्होंने रासायनिक उर्वरक एवं दवाओं के दुष्परिणाम का भी जिक्र कर कहा कि जमीन बंजर होने लगी ह.नतीजतन भारत में जैविक कृषि के सफ ल प्रयोग सफल रहे है.
मध्य क्षेत्र के संघचालक अशोक सोहनी, मालवा प्रान्त के संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री, मालवा प्रान्त के कार्यवाह शम्भुप्रसाद गिरि ने भी कार्यक्रम में शिरकत की. यह बैठक दो दिन तक चली. जिसमें आए हुए लोगों ने गाँव में हुए कामों की जानकारी दी. इस प्रकार विभिन्न सत्रों में जैविक कृषि, गौपालन, सामाजिक समरसता, स्वच्छता, व्यसन मुक्ति, स्वावलंबन, पर्यावरण संरक्षण आदि विषयों पर किए गए कार्यो के अनुभव एक दूसरे के साथ साझा किए गए.

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