नई दिल्ली,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को छात्रों के लिए मोटिवेशनल गुरु की भूमिका में दिखे. मामला उनका मन की बात में देशवासियों से रूबरू होने का था. पांच राज्यों की चुनावी सरगर्मी के बीच उन्होंने राजनीतिक बातों से हटकर छात्रों और उनके अभिभावकों से मन की बात की. उन्होंने छात्रों से कहा कि वे परीक्षा को तनाव न समझें. मेमोरी बढ़ाने की तरकीब बताते हुए उन्होंने कहा कि रिलैक्स होना है. रिलैक्स रहना ही इसकी सबसे बड़ी औषधि है,जिससे मेमोरी वापस आती है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा जीवन-मरण का प्रश्न नहीं बनना चाहिए,उन्होंने कहा कि कई बार इसे ज्यादा गंभीरता से लेने की वजह से लगता है जैसे जीवन-मरण का प्रश्न हो. इसलिए इसे सफलता या असफलता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने मन की बात में जम्मू-कश्मीर में हिमपात से मरने वाले जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले सैन्यकर्मियों और उनके परिवार को बधाई दी. उन्होंने 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के मौके पर सुबह 11 बजे 2 मिनट का मौन रखकर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने की भी देशवासियों से अपील की.
परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के अभिभावकों से उन्होंने कहा कि हर साल तीन-चार महीनों को उत्सव में बदला जाना चाहिएं. उन्होंने कहा कि परिवार भी छात्रों का साथ दें ताकि वे किसी तनाव की स्थिति से न गुजरें.
इस प्रकार उन्होंने छात्रों को स्माइल मोर, स्कोर मोर का मंत्र दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन में माक्र्स नहीं बल्कि नॉलेज काम आती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि अभिभावकों को तीन बातों पर वियोष तौर पर ध्यान देना चाहिए ये हैं स्वीकारना, सिखाना और समय देना.