भोपाल,इस बार 26 जनवरी से आरंभ हो रहे लोकरंग में पहले दिन जनजातीय कथा को मंच पर गीत-संगीत-व नृत्यप्रधान प्रस्तुति के लिए संयोजित किया गया है. इस प्रस्तुति को नाम दिया गया है, सतरूपा सतरूपा बाँसिन कन्या की कथा है जो बैगा जनजाति में सदियों से मिथक के रूप में प्रचलित है. अलग-अलग हिस्सों में इस कथा को विस्तार और पूर्णता मिलती है लेकिन इस कथा में बाँस को कन्या के प्रतीक के रूप में जोडक़र जिस तरह से परिकल्पना की गयी है, एक भावनात्मक धरातल पर यथार्थ और जीवन के गूढ़ार्थ आधार लेते प्रतीत होते हैं.उक्त आशय की जानकारी इस गीत-संगीत एवं नृत्यप्रधान प्रस्तुति की प्रमुख सूत्रधार सुश्री हिमानी शिवपुरी एवं इसके निर्देशक व्योमेश शुक्ल द्वारा पत्रकार वार्ता में दी गई.
26 जनवरी को मुख्य कार्यक्रम के बाद लगभग एक घण्टे तीस मिनट की इस प्रस्तुति को वाराणसी, रूपवाणी के प्रमुख एवं रंगकर्मी व्योमेश शुक्ल ने लिखा और निर्देशित किया है. उनके साथ वाराणसी के लगभग पन्द्रह कलाकारों के साथ ही भोपाल के एक सौ पच्चीस कलाकार एवं प्रदेश के परम्परागत नृत्यों के कलाकार इस प्रकार 180 कलाकार हिस्सा ले रहे है. व्योमेश शुक्ल की इससे पहले राम की शक्तिपूजा, पंचरात्रम, रश्मिरथी, चित्रकूट आदि प्रस्तुति व्यापक रूप से सराही गयी हैं. इस प्रस्तुति की सूत्रधार हमारे समय की जानीमानी रंगकर्मी, अभिनेत्री एवं संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त कलाकार सुश्री हिमानी शिवपुरी हैं. उनकी उपस्थिति और उनकी वाणी से ही मुख्य प्रस्तुति के समय यह प्रस्तुति भेल दशहरा मैदान पर लोकरंग के मंच पर घटित होगी.