नई दिल्ली,पांच राज्यों के चुनाव से पहले जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य द्वारा आरक्षण की समीक्षा की बात कहे जाने से भाजपा में बवाल मच गया है. ये दूसरा मौका है जब संघ के किसी नेता की ओर से चुनाव पहले भाजपा को ये कड़वी दवा दी गई है,इसके पूर्व बिहार चुनाव से पहले आरक्षण को लेकर मोहन राव भागत द्वारा एैसा ही बयान दिया गया था.
जानकार सूत्रों का कहना है कि जमीन पर संघ की इस बयानबाजी से भाजपा को जितना नुकसान होना था वह तो चुनाव से ठीक पहले रोकना मुश्किल है. लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के आग्रह पर संघ की ओर से आरक्षण वाले बयान पर सफाई आई है.जिससे पार्टी नुकसान को नियंत्रित करने की कोशिश में जुट गई है.इस बीच आरएसएस के बयान पर भाजपा के विरोधियों कांग्रेस,जदयू,रालोद समाजवादी पार्टी और बसपा ने तो यहां तक कह दिया यूपी नतीजे उसे राजनीति करना ही भुला देंगे. हालांकि मनमोहन बयान पर सफाई दे चुके हैं, लेकिन उनके पिता और संघ के प्रवक्ता रहे माधव गोविंद वैद्य ने कहा है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा दीगर जातियों को मिले आरक्षण की समीक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि एससी-एसटी को इस लिए आरक्षण जरुरी है क्योंकि उनकी स्थिति अभी भी ठीक नहीं है. जबकि अन्य जातियों को जो आरक्षण है, उन्हें उसका लाभ मिला या नहीं, इसकी समीक्षा खातिर निष्पक्ष समिति बनना चाहिए ताकि इस बारे में सही तथ्य सामने आएं.
यह पूछने पर कि जिन राज्यों में चुनाव हैं वहां इसका क्या मायने निकाले जाएंगे उन्होंने कहा कि वहां के जनमानस को वे नहीं जानते इसलिए वो कुछ नहीं कह सकते.
इधर,आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कहा था कि संविधान निर्माता बी आर अंबेडकर ने आरक्षण के हमेशा जारी रहने का समर्थन नहीं किया था. वैद्य ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का विषय अलग संदर्भ का है.हालांकि वह एैसा कहने के थोड़ी देर बाद ही बयान पर बवाल बढ़ता देख पलट गए थे उन्होंने कहा संघ हमेशा से आरक्षण का हिमायती है.