नई दिल्ली, दिल्ली सरकार द्वारा बिल्डिंग निर्माण के लिए मजदूरों के 900 करोड़ रुपये के बजट को अन्य चीजों पर खर्च कर देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ की जनहित याचिका पर केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें आरोप है कि उन्होंने बिल्डिंग ऐंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेल्फेयर सेस ऐक्ट 1996 के तहत राज्य सरकारों ने लगभग 30 हजार करोड़ रुपये अब तक इक_े किए हैं.
दिल्ली सरकार ने इसके तहत तकरीबन 1500 करोड़ रुपये जुटाए हैं. वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजालवेज ने इस मुद्दे को शुक्रवार को जस्टिस मदन लोकुर के नेतृत्व वाली पीठ के सामने रखा. कोलिन गोंजालवेज ने कहा कि 21 अगस्त 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि दिल्ली समेत कुछ अन्य राज्य सरकारों ने जुटाई गई रकम में से विज्ञापन पर बेहिसाब खर्च किया है और यह रकम कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को लौटाया जाना चाहिए.
कंस्ट्रक्शन टैक्स से जुटाई गई रकम के खर्च को लेकर केंद्रीय श्रम सचिव ने दिल्ली सरकार और अन्य राज्यों को पिछले साल जून में लेटर लिखा था.
इसके साथ ही एनजीओ ने वेल्फेयर बोर्ड के इस प्रस्ताव को आम आदमी पार्टी कैंटीन से लिंक करने का आरोप लगाया, जिसमें 200 करोड़ रुपये मजदूरों के लिए सब्सिडाइज्ड खाना देने के लिए फिक्स था. कोर्ट ने सरकार को एनजीओ के आरोपों पर जवाब देने का आदेश दिया है. अब अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.