मुंबई, न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) के दायरे में आने वाली कंपनियों को आगामी बजट में राहत दी जा सकती सकती है. केंद्र सरकार इसके विकल्प तलाश रही है. कर सलाहकारों के अनुसार वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने इस प्रस्ताव पर पिछले महीने उनसे प्रतिक्रिया मांगी थी.
सूत्र ने कहा, मौजूदा कर प्रारूप ने मैट को अनावश्यक शुल्क बना दिया है. सरकार पहले ही कॉरपोरेट कर को कम करने का वादा कर चुकी है और कंपनियों को मिलने वाली कर रियायत एवं कर अवकाश को खत्म करना शुरू कर चुकी है. अगर विदेशी कंपनियों को ऐसे कर से छूट मिलती है, तो घरेलू कंपनियों को भी समान लाभ मिलना चाहिए.कॉरपोरेट कर और मैट के बीच घटता अंतर भी इस कर को खत्म करने की दिशा में सरकार के कदम की मुख्य वजह हो सकती है. मौजूदा समय में मैट की दर 18.5 फीसदी है, जबकि कॉरपोरेट कर को 35 फीसदी से घटाकर पहले ही 29 फीसदी पर लाया जा चुका है. और आगे भी इसमें कमी आएगी क्योंकि सरकार ने 2019 तक कॉरपोरेट कर को 25 फीसदी तक लाने का वादा किया है.