नई दिल्ली,देश में काजू की कीमतें तेजी से बढ़ रही है. प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों के बंद होने को इसकी प्रमुख वजह माना जा रहा है. नोटबंदी से काजू की सेल्स में तेज गिरावट आई, जिससे कीमतों में करीब 20 फीसदी की नरमी आई थी. भारत को काजू का सबसे बड़ा कंज्यूमर माना जाता है. दिवाली के समय काजू की कीमतें सालाना आधार पर 30 फीसदी बढक़र 800 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई थीं, लेकिन कैश की किल्लत के खिंचने, इंपोर्टेड रॉ नट्स की ऊंची कीमत और देश में घटते दाम के कारण कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं.
नतीजतन कारोबारियों का कहना है, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु में कई प्रोसेसिंग यूनिट्स ने अपने यहां कामकाज बंद कर दिया है, जिसका असर प्रॉडक्शन पर पड़ा है. इसके कारण कीमतों में तेजी का रुझान देखने को मिला है. दरअसल,काजू की स्थानीय खपत करीब 3 लाख टन की है और यह सालाना 5-7 फीसदी के हिसाब से बढ़ रही है. पिछले कुछ सालों में इंपोर्टेड रॉ नट्स की बढ़ती कॉस्ट और लोअर एक्सपोर्ट प्राइसेज ने कई प्रोसेसर्स को केवल डोमेस्टिक मार्केट पर फोकस करने को कहा है.