भारत और स्विटजरलैंड के बीच हुए एक नए समझौते से स्विटजरलैंड के बैंकों में भारतीय खाताधारकों से जुड़ी जानकारियां मिलने का रास्ता साफ हो गया है. इसके तहत भारत को सितंबर 2019 के बाद से भारतीय खाताधारकों के वित्तीय लेन-देन की जानकारी मिलने लगेगी. हालांकि समझौते के अनुसार स्विस बैंकों में 2018 और इसके बाद खुलने वाले भारतीय खाताधारकों से जुड़ी वित्तीय जानकारियां ही मिल पाएंगी. समझौते के बाद जारी बयान में वित्त मंत्रालय ने विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ कार्रवाई को केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में से एक बताया है.
खबरों के मुताबिक समझौते के तहत स्विटजरलैंड ने 2018 से आंकड़ों को जुटाने के दौरान वैश्विक मानकों का पालन करने की बात कही है तो भारत ने उसे भरोसा दिलाया है कि सूचनाओं की गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी. हालांकि, स्विटजरलैंड के बैंक 2018 से पहले के खाताधारकों की वित्तीय जानकारी साझा नहीं करेंगे.
2014 के आम चुनाव में विदेशों में जमा काले धन का मुद्दा काफी चर्चा में रहा था. यह सत्तारूढ़ भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शामिल है. मोदी सरकार ने हाल के दिनों में देश और विदेश में जमा काले धन पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसमें नागरिकों को देश-विदेश में अपनी अघोषित संपत्ति की घोषणा करने का मौका देने से लेकर 500 और 1000 रुपये के बड़े नोटों को बंद करने जैसे कदम शामिल हैं.
इस साल की शुरुआत में केंद्र सरकार ने कहा था कि स्विस बैंकों में भारतीयों का कुल कितना काला धन जमा है, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. उधर, लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ज्यूरिख स्थित स्विस नेशनल बैंक में भारतीयों के जमा धन में लगभग एक-तिहाई की गिरावट आने की बात कह चुके हैं. इस नए समझौते के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि काला धन छिपाने के लिए भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों का इस्तेमाल बंद हो जाएगा.