चार पीएस बनेंगे अपर मुख्य सचिव
मध्य प्रदेश कॉडर के 11 अफसरों को नए साल में प्रमोशन मिलेगा। इसमें से कृषि विभाग के प्रमुख सचिव सहित 4 अफसर से प्रमोट होकर अपर मुख्य सचिव बन जाएंगे। इसी तरह सचिव स्तर के 4 अफसर प्रमुख सचिव बनेंगे। जबकि 2005 बैच के 3 अफसर सचिव के पद पर प्रमोट हो जाएंगे। सामान्य प्रशासन विभाग ने इन अफसरों को प्रमोशन देने की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। दो-तीन दिन में इसके आदेश जारी हो जाएंगे। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में 1990 बैच के अफसर जेएन कंसोटिया, डॉ.राजेश राजौरा, एसएन मिश्रा, अश्विनी कुमार राय और मलय श्रीवास्तव अपर मुख्य सचिव बनाए जा चुके हैं। अब 2021 में इसी बैच के अजीत केसरी, पंकज राग, अशोक शाह और अलका उपाध्याय को पद उपलब्ध होने पर प्रमोट किया जाएगा। बता दें कि अलका उपाध्याय अक्टूबर 2016 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। जबकि पंकज राग केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी में हैं। नए साल में अपर मुख्य सचिव स्तर के चार अफसर रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में मुख्य सचिव वेतनमान में प्रमोशन के लिए चार पद उपलब्ध होंगे। इसी तरह 1997 बैच के अफसर सुखवीर सिंह, मनीष सिंह, राघवेंद्र कुमार सिंह और गुलशन बामरा प्रमुख सचिव पद पर प्रमोट होंगे। इसके लिए डिपार्टमैंटल प्रमोशन कमेटी की बैठक होने की औपचारिकता बाकी है। 2005 बैच के अफसर राहुल जैन, जीवी रश्मि और संजीव सिंह सचिव पद पर प्रमोट होंगे। इनमें जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं।
डीजीपी के लिए दोहरे, शर्मा और यादव की चर्चा
डीजीपी विवेक जौहरी 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में नए पुलिस प्रमुख के नाम की घोषणा इसी महीने हो सकती है। पूर्व कांग्रेस सरकार ने जौहरी को 2 साल का एक्सटेंशन दिया था। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद इस बात की संभावना ज्यादा है कि शिवराज सरकार मौजूदा डीजीपी को सेवा विस्तार न दे। ऐसे में अगले डीजीपी के लिए अशोक दोहरे, पुरुषोत्तम शर्मा और विजय यादव के नाम शामिल हैं।
सरकार कमलनाथ सरकार के एक्सटेंशन के फैसले को पलटेगी या फिर जौहरी 2 साल तक डीजीपी बने रहेंगे, यह कुछ दिनों में सामने आ जाएगा। यदि जौहरी 2 साल तक डीजीपी बने रहते हैं, तो यह मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार होगा, जब एक्सटेंशन के बदौलत डीजीपी का कार्यकाल चलेगा। हालांकि, इन दिनों मप्र में तीन नाम डीजीपी की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। इनमें अशोक दोहरे, पुरुषोत्तम शर्मा और विजय यादव का नाम है। जानकार विजय यादव को इस पद के लिए प्रबल दावेदार बता रहे हैं। भाजपा सरकार में डीजीपी बने वीके सिंह को कमलनाथ सरकार ने हटा दिया था। उनकी जगह पर केंद्र में पदस्थ 1984 बैच के आईपीएस अफसर विवेक जौहरी को डीजीपी बनाया गया था। विवेक जौहरी भोपाल के ही रहने वाले हैं। उनकी ईमानदार और साफ सुधरी छवि है। विवेक जौहरी की ज्यादातर नौकरी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में ही रही है।
इसलिए मिल सकते हैं नए डीजीपी
मौजूदा डीजीपी को एक्सटेंशन देने के फैसले को भाजपा सरकार पलट सकती है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि जितने भी फैसले कमलनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल में लिए थे उन सभी को मौजूदा सरकार ने पलटा है। सूत्रों की मानें तो इस पर मंथन भी चल रहा है। एक वजह यह भी बताई जा रही है कि मध्य प्रदेश के इतिहास में डीजीपी के पद के लिए किसी भी अधिकारी को एक्सटेंशन नहीं दिया गया है। यदि जौहरी को एक्सटेंशन दिया जाता है तो यह मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार होगा और भाजपा सरकार शायद ऐसा होने नहीं देगी।
इन नामों की चर्चा
मौजूदा डीजीपी विवेक जौहरी यदि रिटायर होते हैं तो नए डीजीपी की दौड़ में कई अधिकारी शामिल हैं। 1984 बैच के आईपीएस अफसर मैथिलीशरण गुप्त और 1985 बैच के अफसर महानभारत सागर इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। ये दो नाम डीजीपी की रेस से बाहर हैं। इसके अलावा 1984 बैच के अफसर संजय चौधरी जनवरी 2021, 1984 बैच के अफसर वीके सिंह मार्च 2021 और 1986 बैच के आईपीएस अफसर संजय राणा जनवरी-फरवरी 2021 में रिटायर्ड हो रहे हैं। इन तीनों अफसरों का कार्यकाल 6 महीने तक का भी नहीं बचा है और डीजीपी के लिए 6 महीने का कार्यकाल होना जरूरी है, ऐसे में अब तीन नामों का पैनल डीजीपी के लिए बनाया जा सकता है, जिसमें 1985 बैच के अफसर अशोक दोहरे और 1986 बैच के आईपीएस अफसर पुरुषोत्तम शर्मा के साथ 1987 बैच के आईपीएस अफसर विजय यादव शामिल हैं। अशोक दोहरे और पुरुषोत्तम शर्मा का रिटायरमेंट 2023-24 में है, जबकि विजय यादव अगस्त 2021 में रिटायर होंगे। विजय यादव की दावेदारी डीजीपी के लिए प्रबल बताई जा रही है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि पुरुषोत्तम शर्मा का नाम हनीट्रैप में आने के बाद लंबा विवाद हुआ था। वहीं अशोक दोहरे के नाम पर सहमति बनना मुश्किल है। विजय यादव के नाम के साथ ऐसी कोई दिक्कत नहीं है।
फायर सर्विस पर रार
प्रदेश में आईएएएस और आईपीएस लॉबी के बीच लगतार टकराव के हालात बनते जा रहे हैं। इस साल इस तरह के तीन बार हालात बन चुके हैं। ताजा हालात की वजह बना है फायर सर्विस । इसकी कमान को लेकर एक बार फिर आईएएस व आईपीएस आमने-सामने आ गए हैं। दरअसल, 11 साल पहले फायर सर्विसेस पुलिस से लेकर नगरीय प्रशासन विभाग को देने कैबिनेट ने मंजूरी दे चुकी है , लेकिन आईपीएस लॉबी इसके लिए राजी नहीं है।यही वजह है कि अब भी इस पर आईपीएस का कबजा बना हुआ है। अब यह पूरा मामला नगरीय प्रशासन विभाग ने 22 जनवरी को मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेज दिया है। कमलनाथ से इस मामले में क्रियान्वयन कराने की कोशिश है, ताकि फायर सर्विस पूरी तरह शिफ्ट हो सके। पूरा मामला कमलनाथ के पास पहुंचने से आईएएस व आईपीएस फिर इस मुद्दे पर खींचतान कर रहे हैं। सीएम के पास मामला भेजने के आईएएस लॉबी के इस मुद्दे पर कदम बढ़ाने के चलते आईपीएस लॉबी ने भी पूरी ताकत लगा दी है कि फायर सर्विस से उनका कब्जा न छूटे।
यह है देरी की वजह
अप्रैल 2010 में कैबिनेट ने फायर सर्विस को अफसर-कर्मचारी और संसाधनों के साथ नगरीय प्रशासन विभाग को देने को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद गृह विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए, लेकिन फिर कुछ कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ याचिका लगा दी। उच्च न्यायालय के आदेश के तहत सितंबर 2011 में कैबिनेट ने नए प्रस्ताव के तहत फायर सर्विस को नगरीय प्रशासन को देने मंजूरी दी।
इसके तहत पूरी फायर सर्विस को संसाधन सहित नगरीय प्रशासन को देना तय किया गया। इसमें अधिकारी व कमज़्चारी भी नगरीय प्रशासन को दिए गए, लेकिन इसमें तय किया गया कि अधिकारी-कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर खाली पदों को नगरीय प्रशासन आगे भर्ती के जरिए भरता जाएगा। इस तरह पुलिस के पद धीरे-धीरे फायर सर्विस में खत्म हो जाना है। इस कारण आईपीएस लॉबी इस सर्विस को नगरीय प्रशासन को नहीं सौंपना चाहती। इसके अलावा आईपीएस इंदौर, पीथमपुर और भोपाल में राजभवन, मंत्रालय, सतपुड़ा और विंध्याचल की फायर सर्विस पर कब्जा बनाए रखना चाहते हैं। इसलिए इस क्रियान्वयन को बरसों से टाल रहे हैं।
पुलिस को होगा इन पदों का नुकसान
अभी फायर में एडीजी, आईजी, डीआईजी, जेपी सहित अन्य पद धीरे-धीरे अफसरों की सेवानिवृत्ति के साथ पुलिस के लिए खत्म हो जाना है। अभी आईपीएस इन पदों पर पदस्थ हो जाते हैं।
सीएम को लिखा कि केवल एक अफसर आए-
फायर सर्विस से एसपी फायर बीएस टोंगरे फरवरी 2013 में गृह विभाग से कार्यमुक्त हो गए थे, वजह ये थी कि उन्हें नए सिरे से नगरीय प्रशासन के तहत फायर सर्विस में कार्यभार ग्रहण करना था। नगरीय प्रशासन विभाग ने मार्च 2013 में उनकी सेवाएं व कार्यभार ग्रहण को मान्य किया। इसका हवाला देकर नगरीय प्रशासन विभाग ने अब सीएम कमलनाथ को लिखा है कि बाकी पूरी सर्विस को अभी हस्तांरित किया जाना है, लेकिन यह नहीं हो पाया है।
दो बार इन वजहों से हुआ टकराव-
आईएएस और आईपीएस लॉबी में बार-बार टकराव के हालात बन रहे हैं। कमलनाथ सरकार में सबसे पहले कमिश्नर प्रणाली को लेकर दोनों लॉबी आमने सामने आई। डीजीपी वीके सिंह के कमिश्नर प्रणाली लागू करने के प्रयासों को आईएएस लॉबी ने फेल कर दिया। इसके बाद राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता के थप्पड़ कांड पर दोनों लॉबी में टकराव सामने आया। इसके बाद अब यह मुद्दा भी गर्मा गया है।
नए साल में अफसरों की पदोन्नति
नए साल के आगमन के साथ ही 1996 बैच के सात भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत होंगे। प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नत होने के लिए न्यूनतम 25 साल की सीमा है किंतु मध्यप्रदेश कैडर में 1995 में केवल एक आईएएस अफसर की नियुक्ति हुई थी। वही प्रमुख सचिव अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों के सेवानिवृत्ति से जो पद खाली हो रहे हैं। उसमें 1996 बैच के अधिकारी 1 साल पहले ही प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत हो जाएंगे।
जनवरी 2020 में जो अधिकारी प्रमुख सचिव बनेंगे उनमें डीपी आहूजा नितेश व्यास, फैज अहमद किदवई, संजीव कुमार झा, अमित राठौर, उमाकांत उमराव तथा कैरोलिन खोंगवार प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत हो जाएंगे। जीएडी ने 24 साल की सेवा पूर्ण कर चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नत करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी हैं।
2004 बेच के अधिकारी होंगे सचिव पद पर पदोन्नत
2004 बैच के इंदौर कलेक्टर लोकेश जाटव, नीमच कलेक्टर अजय सिंह गंगवार, डीबी सिंह, अरुण गुप्ता, अशोक वर्मा, राजेश जैन, रविंद्रसिंह, पतिराम कतरोलिया सचिव पद पर पदोन्नत होंगे।
प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नति के बाद सचिव और अपर सचिव के पद पर पदोन्नति के रास्ते खुल गए हैं। 1995 बैच में मात्र एक अधिकारी आने के कारण भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को 1 साल पहले पदोन्नति का रास्ता खुल रहा है।
जनवरी माह में आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर
दिसंबर एवं जनवरी माह में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव एवं अपर सचिव के पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रमोशन हो रहे हैं। प्रमोशन के पश्चात लगभग डेढ़ दर्जन अधिकारियों की पदस्थापना नवीन स्थानों पर होगी। जनवरी माह में पदोन्नति होने के बाद बड़े पैमाने पर ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर कयास लगने शुरू हो गए हैं।
राप्रसे के 8 अफसर होंगे पदोन्नत
राज्य पुलिस सेवा संवर्ग से भारतीय पुलिस सेवा संवर्ग में पदोन्नति के लिये 30 दिसंबर को दिल्ली में डीपीसी होगी। रापुसे संवर्ग के 8 अफसरों को आईपीएस बनाने के लिये कुल 24 नामों पर विचार होगा। इस डीपीसी में हिस्सा लेने के लिये मप्र से मुख्य सचिव एसआर मोहंती, प्रमुख सचिव गृह एसएन मिश्रा और डीजीपी व्हीके सिंह दिल्ली जायेंगे। इसके अलावा डीपीसी में केंद्र सरकार के एडिशनल सेक्रेट्री स्तर के एक अधिकारी और यूपीएसपी के एक सदस्य शामिल होंगे। विचारण क्षेत्र में शामिल सभी 24 अधिकारी राज्य पुलिस सेवा के वर्ष 1995 बैच के अधिकारी हैं। इनमें से स्कू्रटनी के बाद 8 नामों का अंतिम रूप से चयन किया जाएगा, जिन्हें आईपीएस अवार्ड होगा। विचारण क्षेत्र में जिन अफसरों के नाम शामिल किये गये हैं, उनमें अनिल कुमार मिश्रा, सुशील रंजन सिंह, देवेन्द्र केआर सिरोलिया, संजय कुमार सिंह, आलोक कुमार, रघुवंश कुमार सिंह, विकास पाठक, श्रीमती श्रद्धा तिवारी, वैष्णव शर्मा, सिद्धार्थ चौधरी, यशपाल सिंह राजपूत, धर्मवीर सिंह, अरविंत तिवारी, श्रीमती प्रियंका मिश्रा, वीरेन्द्र मिश्रा, प्रमोद कुमार सिन्हा, विजय कुमार भगवानी, राजीव मिश्रा, प्रकाश चंद्र परिहार, निश्चल झरिया, श्रीमती रचना ठाकुर, संतोष कोरी, जगदीश डाबर और मनोहर सिंह मंडलोई शामिल हैं।
कमलनाथ सरकार को पांच साल
कमलनाथ सरकार ने भाजपा की उम्मीदों पर बिजली गिरा दी है। प्रदेश में 15 साल बाद सरकार बनाने वाली कांग्रेस को भाजपा पहले दिन से अस्थिर करने का दावा कर रही थी। लेकिन बजट सत्र के आखिरी दिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐसा दांव चला कि भाजपा के सारे दांव उसके लिए उल्टे पड़ गए। 2 विधायकों को गंवाने के बाद अब भाजपा के 5 और विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। इस पूरे शक्ति प्रदर्शन के बाद यह तय हो गया है कि, कमलनाथ सरकार अब वह पूरी तरह से सुरक्षित है। अपने ही नेताओं की अंतरकलह में उलझी भाजपा में उसको गिराने की ताकत नहीं है। उधर जो ब्यूरोक्रेसी अब तक नाथ सरकार की स्थिरता को लेकर अनिश्चितता में थी, वो भी मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार के 5 वर्ष चलने पर विश्वास व्यक्त कर काम पर लग गई है।
मंत्रालय में ब्यूरोक्रेसी सक्रिय
सरकार के स्थिर होने का संकेत मिलते ही मंत्रालय में ब्यूरोक्रेसी अपने काम में सक्रिय हो गई है। पिछले 7 माह से मंत्रालय में टालमटोल और इफ एंड वार की कार्य संस्कृति अपना रहे थे। अफसर सरकार के बचने या जाने के कयास में उलझे थे। मगर अब माहौल बिल्कुल बदल गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद मंत्रालय में 12 घंटे बैठकर काम कर रहे हैं। इससे दूसरे मंत्रियों और अफसरों में भी संदेश गया है। विधानसभा सत्र के बाद वल्लभ भवन की सोच ही बदल गई है।
राजोरा और हनी बघेल
पर्यटन एवं नर्मदा घाटी विकास विभाग के मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने अपने विभाग में प्रमुख सचिव बनाए गए आईएएस अधिकारी राजेश राजौरा को हटाने के लिए मुख्यमंत्री को इस्तीफे की धमकी दी थी। जिसके कारण मुख्यमंत्री ने एनवीडीए और जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा को हटाकर उन्हें उद्योग विभाग के साथ जनसंपर्क विभाग की कमान भी दे दी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 2002 में राजेश राजौरा कलेक्टर धार थे। उस समय उन्होंने मांडू में प्रताप सिंह बघेल द्वारा बनाई जा रही कोठी को तुड़वा दिया था। राजौरा ने इसे अवैध निर्माण बताकर कार्रवाई की थी। जिससे सुरेंद्र सिंह बघेल नाराज थे। मंत्री की नाराजगी के कारण रातों-रात उनका ट्रांसफर किया गया।
सास-ससुर मेहरबान खूब मिले गिफ्ट
कहते हैं, सरकारी दूल्हें पर हर कोई मेहरबान होता है। पहले तो सरकारी नौकरी करने वालों से अपनी बेटी की शादी करने हर कोई बेताब रहता है। बड़ा दहेज देकर भी हर कोई सरकारी नौकर को दामाद बनाना चाहता है। तो फिर आईएएस अफसरों की तो बात ही अलग है। मध्य प्रदेश कैडर के कई आईएएस अफसरों को ससुराल से लाखों के तोहफे मिले हैं। यह खुलासा केंद्र सरकार को अफसरों द्वारा सौंपी गई संपत्ति की ब्यौरे से हुआ है। अफसरों को ससुराल वालों ने ज़मीन से लेकर एक से बढ़कर एक महंगे गिफ्ट दिए हैं। कई अफसरों ने यह बताया है कि उनकी संपत्ति खऱीदने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। हांलाकि इन अफसरों को ससुराल से खूब संपत्ति मिली है। अफसरों को ही नहीं, उनकी पत्नियों को भी मायके से बेहिसाब संपत्ति मिली है।
किसे क्या मिला
अफसर पद ससुराल से मिला
पी सी मीणा अध्यक्ष, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड जयपुर में प्लॉट
मोहम्मद सुलेमान पीएस, कुटीर उद्योग सहारनपुर में आम के बगीचे
अजीत केसरी पीएस, सहकारिता रायपुर में कृषि भूमि
नीरज मंडलोई पीएस, खनन इंदौर में फ्लैट और मकान
आशुतोष अवस्थी श्रमआयुक्त दुकान और मकान
नरेश पाल सचिव गृह विभाग भोपाल में एक प्लॉट
स्वतंत्र कुमार अपर आयुक्त, नगरीय प्रशासन लखनऊ में मकान और प्लॉट
प्रमोद गुप्ता एमडी, दुग्ध संघ इंदौर में एक मकान
अरुण कुमार तोमर ज्वाइंट सीईओ भोपाल में ससुर की ओर से हॉल
रविकांत मिश्रा पत्नी को ग्वालियर में कृष भूमि
राजीव शर्मा आईएएस भोपाल में प्लॉट, मुरैना में कृषि भूमि
श्रीनिवास शर्मा आईएएस जबलपुर में कृषि भूमि
भरत यादव एमडी उर्जा निगम भोपाल में पत्नी के नाम प्लॉट
राजीव रंजन मीणा आईएएस पत्नी को नानी की ओर से जयपुर में दुकान
कमलनाथ और नौकरशाही
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अफसरों पर खास प्रभाव छोड़ा है। उनके द्वारा अधिकारियों को जिम्मेदार बनाने की प्रक्रिया से अफसर हैरान और परेशान हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ रोजाना सुबह 10 बजे मंत्रालय पहुंच जाते हैं। लंच में भी वह मंत्रालय में ही रहते हैं। रात 10 बजे तक वह विभिन्न विभाग के विभाग प्रमुखों को बुलाकर विभाग बार समीक्षा करते हैं। निर्देश देते हैं और अधिकारियों को निर्णय एवं क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार बनाते हैं कि कार्य को इतने समय पर कर लें, अन्यथा आप जिम्मेदार माने जाएंगे। सचिवालय के अधिकारियों को पहली बार ऐसे मुख्यमंत्री मिले जो लगातार 12 घंटे प्रत्येक विभाग का न केवल गहन अध्ययन कर रहे हैं अधिकारियों की बातें भी सुन रहे हैं। योजनाओं के क्रियान्वयन में क्या बाधाएं आ रही हैं। उसको समझने के बाद उपयुक्त निर्णय और निर्देश देने का काम करते हैं।
मुख्यमंत्री की कार्य प्रणाली से अधिकारियों में एक नई तरीके की ऊर्जा का संचार हुआ है। अब अधिकारी भी लगातार पूरी सजगता के साथ अपने काम को कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रोजाना दौरे पर रहते थे। कभी-कभार वह समीक्षा करते थे। वह निर्देश ज्यादा देते थे। अधिकारियों से फीडबैक कम लेते थे, किंतु अब स्थितियां मंत्रालय की पूरी तरह बदल गई हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की कार्यप्रणाली से कुछ अधिकारी जरूर बहुत परेशान हैं, जो अपने विभाग में परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा जिम्मेदार ठहराने से वह परेशान हैं। ऐसी स्थिति में कहीं उन्हें मुख्यमंत्री की नाराजगी का शिकार ना होना पड़े मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले डेढ़ माह में जिस तरीके से मध्य प्रदेश के सभी विभागों के काम काज को समझा है। उसके बाद अधिकारियों, नेताओं की मनमानी पर भी रोक लगी है कमलनाथ सारी स्थितियों को समझते हुए अधिकारियों को और मंत्रियों के बीच समन्वय बनाकर निर्देशित कर रहे हैं जिससे प्रभावी परिणाम मिलने की एक नई आशा दिखाई देने लगी है।
कमलनाथ राजनेता होते हुए भी कारपोरेट स्टाइल पर काम करने के कारण सर्वत्र चर्चाओं में हैं छोटे से बड़ा कर्मचारी अधिकारी और सभी राजनेता कमलनाथ की कार्यप्रणाली से काफी प्रभावित हैं। कमलनाथ इस बीच जनता जनार्दन से मिलने का कोई मौका भी नहीं छोड़ते हैं। पिछले 15 साल में पहली बार मंत्रालय में सुबह 10 बजे से लेकर रात में 10 बजे तक रौनक बनी रहती है। मुख्यमंत्री कमलनाथ जब भोपाल से बाहर होते हैं। उस समय मंत्रालय में सन्नाटा छाया रहता है
अग्रवाल – जुलानिया प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे
मध्यप्रदेश के सीनियर आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल और राधेश्याम जुलानिया को सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर भेजने की तैयारी कर ली है। सीएम कमलनाथ ने फाइल पर साइन कर दिया है अब दिल्ली से मंज़ूरी का इंतज़ार है। दोनों ही अफसर कई बार चर्चा में आ चुके हैं।
मध्यप्रदेश में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद ब्यूरोक्रेट्स के तबादलों का दौर जारी है। अब इसके बाद विवादित अफसरों की बारी आई है। प्रदेश के दो सीनियर आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल औऱ राधेश्याम जुलानिया सरकार के निशाने पर है। विवेक अग्रवाल फिलहाल पीएचई विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री हैं और राधेश्याम जुलानिया जल संसाधन विभाग के एसीएस हैं।
बात दे कि विवेक अग्रवाल पिछली शिवराज सरकार के नज़दीकी और ख़ास अफसरों में शुमार थे। पीएचई उपसचिव नियाज़ अहमद खान और पीएस विवेक अग्रवाल के बीच बुधवार को भोपाल में बैठक के दौरान कहासुनी हो गयी थी। उपसचिव नियाज़ अहमद खान ने इसकी मुख्य सचिव से शिकायत कर दी थी। इसके बाद में नियाज़ अहमद खान ने प्रताड़ना को लेकर सोशल मीडिया में भी लिखा था। वहीं दूसरे आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया अपने सख़्त मिजाज़ के लिए जाने जाते हैं और इसी वजह से वो कई बार चर्चा में आ चुके हैं। जुलानिया मुख्य सचिव की रेस में थे। एसआर मोहंती के मुख्य सचिव बनने के बाद से ही जुलानिया के प्रतिनियुक्ति पर जाने की अटकलें थीं।
मोहंती के सामने चुनौतियां
मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव के पद पर सुधीर रंजन मोहंती की नियुक्ति हो चुकी है। नए वर्ष में वह अपना पदभार ग्रहण करेंगे। मोहंती के सामने जहां कांग्रेस के वचन पत्र के क्रियान्वयन को लेकर अधिकारियों में समन्वय बनाने की चुनौती होगी। वहीं खाली खजाने से निपटते हुए उन्हें नई संभावनाओं पर काम करना होगा।
मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार 10 से 12 घंटे काम करते हैं। वह त्वरित निर्णय लेते हैं, और परिणाम भी समय सीमा में लेने के आदी हैं। ऐसी स्थिति में मुख्य सचिव सुधीर रंजन मोहंती को काफी सक्रिय रहना होगा।
मुख्य सचिव की नियुक्ति के पीछे मुख्य मंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और प्रख्यात कानून विद विवेक तंखा की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वित्तीय संसाधन सीमित होने के बाद भी उन्हें प्रदेश के विकास और कांग्रेस के वचन पत्र को पूर्ण कर पाने की जो चुनौती है। उसको लेकर उनको जानने वाले लोगों का कहना है कि मोहंती इस तरह के कार्य में हमेशा सफल रहे हैं। निश्चित रूप से वह मुख्य सचिव के रूप में अपने कार्यों को निश्चित समय सीमा और मुख्यमंत्री की भावनाओं के अनुरूप प्रदेश को आगे ले जाने मैं अपनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल करेंगे।
मोहंती का मुख्य सचिव बनना तय
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही कमलनाथ के ऊपर अपने मुख्य सचिव के चयन का काम सबसे प्राथमिकता पर है। कमलनाथ के मुख्य सचिव के रूप में एसआर मोहंती का नाम सबसे ऊपर है एक-दो दिन के अंदर मुख्य सचिव के नाम का फैसला होना तय माना जा रहा है। क्योंकि पुराने मुख्य सचिव के साथ नए मुख्य सचिव को ओएसडी बनाकर सारे कार्यों की जानकारी लेने की परंपरा रही है। मुख्य सचिव पद के लिए वित्त विभाग के पूर्व मुख्य सचिव प्रशासन अकादमी के डीजी एपी श्रीवास्तव, राधेश्याम जुलानिया, प्रभांशु कमल और इकबाल सिंह बैंस के नामों पर भी चर्चा हुई है किंतु इस सारी चर्चा में एसआर मोहंती सबसे ऊपर चल रहे हैं। प्रशासनिक हलकों में कहा जा रहा है की कमलनाथ की पसंद एसआर मोहंती होंगे।
उल्लेखनीय है कि अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती के खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने से केंद्र सरकार पहले ही इंकार कर दिया था। तब कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि मामला कोर्ट में होने से अभियोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती। मोहंती ने ईओडब्ल्यू की जांच पर हाईकोर्ट में सवाल उठाए। प्रदेश सरकार के एसीएस और माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष एसआर मोहंती के खिलाफ चल रही ईओडब्ल्यू जांच को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि जांच में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा। इससे मोहंती की दाबेदारी मजबूत हुई है।
केसरी और वीरा होंगे अपर मुख्य सचिव
मध्य प्रदेश के दो मुख्य सचिव स्तर के पद रिक्त हो रहे हैं। 31 दिसंबर को मुख्य सचिव वीपी सिंह और अतिरिक्त मुख्य सचिव एम मोहनराव सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, इनकी सेवानिवृत्त होने पर 2 पद अपर मुख्य सचिव पद के खाली होंगे। इन दोनों पदों पर प्रमुख सचिव आईसीपी केशरी और वीरा राणा की पदोन्नति होगी। उल्लेखनीय है आईसीपी केशरी अभी प्रमुख सचिव ऊर्जा के पद पर पदस्थ हैं। वीरा राणा अभी अवकाश पर चल रही हैं। इसी बैच के संजय बंदोपाध्याय, प्रवीण गर्ग और शैलेंद्र सिंह दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं। इन्हें प्रोफार्मा पदोन्नति देकर आईसीपी केसरी और वीणा राणा को अतिरिक्त मुख्य सचिव पद पर पदोन्नति दी जाएगी।
वीके सिंह देखेंगे DGP का काम
एमपी के पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला इन दिनों हार्ट सर्जरी के लिए मुंबई गए है उनके गैरहाजरी में मेडिकल अवकाश पर रहते हुए म.प्र. पुलिस हाउसिंग कारर्पोरेशन के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह को पुलिस महानिदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। उल्लेखनीय है कि डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला 15 अक्टूबर 2018 से 6 सप्ताह के मेडिकल अवकाश पर हैं। विजय कुमार सिंह 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं।
बैलगाड़ी वाले सीईओ का तबादला
चौरई के एक गांव की बैलगाड़ी से यात्रा करने वाले जिला पंचायत के सीईओ रोहित सिंह का मध्यप्रदेश सरकार ने तबादला कर दिया है। उन्हें छिंदवाड़ा से अपर कलेक्टर जबलपुर बनाया गया है। तबादला बैलगाड़ी कांड के बाद किया गया है। प्रदेश में ग्रामीण विकास के नाम पर सड़कों की तुलना और गुणवत्ता को अमेरिका से अच्छा बताया गया है। क्योंकि जिला पंचायत सीईओ रोहित सिंह ने बैलगाड़ी में बैठकर गांव की यात्रा कर विकास का असली चेहरा दिखा दिया था लिहाजा सरकार को यह रास नहीं आ रहा था। दरअसल वे पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के बने मकानों का निरीक्षण करने जा रहे थे उन्हें बताया गया कि रास्ते में बहुत कीचड़ है कार नही जा पाएगी तब वे बैलगाड़ी में सवार हो गए। खास बात यह रही कि सीईओ तो बैलगाड़ी में सवार थे लेकिन उनका अमला पीछे-पीछे पैदल चल रहा था। इस मामले को लेकर सीईओ विवादों में फंस गए थे जब यह मामला छिंदवाड़ा से भोपाल तक पहुंचा तब ना केवल जनप्रतिनिधियोंं बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इसे गंभीरता से लिया और अंतत: सीईओ रोहित सिंह का छिंदवाड़ा से तबादला ही कर दिया गया है।
वीरा की लंबी छुट्टी
मोहन राव के बाद अब वीरा राणा भी मुसीबत में है, सरकार ने उन्हें एक महीने पहले राज्यपाल की प्रमुख सचिव बनाकर राजभवन भेजा था. अब वीरा राणा लंबी छुट्टी पर चली गई हैं। राजभवन पहुंचते ही उन्होंने दो महीने की चाइल्ड केयर लीव का आवेदन दिया और मंजूर होने से पहले ही उन्होंने ड्यूटी जाना बंद कर दिया। अब राज्यपाल के प्रमुख सचिव का काम विधि अधिकारी भारत माहेश्वरी देख रहे हैं। पिछले महीने 8 जुलाई को जारी तबादला आदेश में मोहन राव को राजभवन से हटाकर वीरा राणा को प्रमुख सचिव बनाया था। राज्यपाल आनंदीबेन मोहन राव के काम से संतुष्ट नहीं थीं। उन्होंने किसी महिला अधिकारी भेजने को कहा था। इसके बाद राव को राजभवन से हटाकर वीरा राणा को पदस्थ कर दिया गया। बताया गया कि राज्यपाल द्वारा अपने कार्यकाल के 111 दिन पूरे होने पर प्रकाशित कराई गई किताब को लेकर मोहन राव ने आपत्ति लगाई थी। जिससे राज्यपाल नाराज थीं। प्रमुख सचिव का कार्यभार संभालने के बाद वीरा राणा ने भी किताब को लेकर आपत्ति ली। उनकी राज्यपाल से पटरी नहीं बैठ रही। यही वजह है कि वे लंबी छुट्टी पर चली गई हैं।
17 अफसर आईएएस और 7 बनेंगे आईपीएस
राज्य प्रशासनिक सेवा के 17 अफसर आईएएस और 7 अफसर आईपीएस बनेगे। जानकारी के अनुसार यह फैसला दिल्ली में हुई डीपीसी में लिया गया है। आईपीएस बनने वालो में जहा अनिल मिश्रा, सुशील रंजन, राजेश चंदेल, सचिंद्र सिंह चौहान, भागवत वरदे, किरण लता केरकेट्टा, मनोज राय और संजय सिंह के नाम शामिल है, वही आईएएस की लिस्ट में शामिल अफसरों के नाम मुजीबुर्रहमान, संजीव श्रीवास्तव, रविंद्र चौधरी, चंद्रमौली शुक्ला, वीरेंद्र कुमार, संजय कुमार, मनोज पुष्प, उमाशंकर भार्गव, हरिसिंह मीणा, सरिता बाला, दिनेश जैन संजय कुमार मिश्रा गिरीश शर्मा, शिवराज सिंह वर्मा, अवधेश शर्मा कुमार, पुरुषोत्तम रत्नाकर झा, धर्मेद्र जैन और अरविंद दुबे बताये गए है।
IPS को व्यापम की कमान
MP में व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) जो अब प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के नाम से जाना जाता है । उसकी कमान भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी को दिए जाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है । सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस मुख्यालय द्वारा इस आशय का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है।
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड में अभी तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त होते थे। किंतु व्यापम घोटाले और परीक्षाओं में परीक्षार्थियों की जांच करना, नकल रोकना और अन्य ऐसे कार्य होते हैं जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के नेतृत्व में अच्छे तरीके से हो सकते हैं सरकार ने पीएचक्यू से प्रस्ताव मांगा था, जो सरकार को भेजा जा चुका है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस मुख्यालय के बाहर महानिदेशक स्तर के अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। मध्य प्रदेश पुलिस में इस समय 10 वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, डीजी रैंक के हैं। इन्हीं में से किसी एक को व्यापम का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
दुबई में ‘आनंद’ के टिप्स
MP सरकार ने अपने आला अफसरों को ‘आनंद” के टिप्स लेने दुबई भेजने का निर्णय लिया है। संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने दुबई में ‘हैप्पीनेस” पर केन्द्रित अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसमें प्रदेश के दो अफसर मप्र में चल रहे कामकाज का ब्योरा देंगे। दुबई में 10 से 13 फरवरी तक ‘इंटरनेशनल हैप्पीनेस समिट” बुलाई गई है। इस वैश्विक आयोजन में दुनियाभर से करीब 130 देशों के प्रतिनिधि पहुंच रहे हैं। मप्र देश का पहला राज्य है जहां सरकार ने आनंद विभाग का गठन किया है। इसलिए इस आयोजन का न्योता मप्र को भी मिला है। मप्र सरकार ने इस आयोजन में प्रतिनिधित्व के लिए आनंद विभाग के उपसचिव एसके शर्मा और राज्य आनंद संस्थान के डायरेक्टर अशोक जनवदे को भेजने का निर्णय लिया है। ये दोनों अधिकारी वहां जाकर यह देखेंगे कि दुनिया के अन्य देशों में हैप्पीनेस को लेकर क्या काम हो रहा है। साथ ही मप्र में तैयार हो रहे हैप्पीनेस इंडेक्स के लिए जरूरी टिप्स भी हासिल करेंगे।
34 आईपीएस अफसर होंगे प्रमोट
जल्द 34 आईपीएस अफसर प्रमोट होकर डीजी, एडीजी, आईजी और डीआईजी हो जाएंगे। इसके अलावा राज्य पुलिस सेवा के 7 अफसरों को आईपीएस अवॉर्ड करने की तैयारी भी गृह विभाग ने कर ली है। वरिष्ठता के आधार पर 18 आईपीएस अफसर प्रमोट होकर डीआईजी बनेंगे। गौरतलब है कि आईपीएस अखिलेश झा की याचिका पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने इस बैच के प्रमोशन पर स्टे दिया है। इसी 2004 बैच के आईपीएस झा के खिलाफ दो साल से विभागीय जांच चल रही है। बता दें कि कैट ने नंवबर माह में पूरे बैच के प्रमोशन पर स्टे दिया था। प्रमोट डीजी आरके गर्ग, संजय राणा, अनिल कुमार, पुरुषोत्तम शर्मा। एडीजी अनिल कुमार, सोनाली मिश्रा, आरके गुप्ता, अनिल कुमार गुप्ता व संजीव शमी। बनने वाले अधिकारियों में
आईजी बनने वाले अधिकारियों में संतोष सिंह, केसी जैन व एसपी सिंह और आईजी बनने वाली टीम में डीआईजी गौरव राजपूत, संजय कुमार, इरशाद वली, बीपी चंद्रवंशी, अखिलेश झा, आनंद प्रकाश सिंह, प्रीतम सिंह उइके, डीएस चौधरी, आईपी अरजरिया, आरके जैन, अनिल महेश्वरी, दीपक वर्मा, अशोक कुमार गोयल, एमएस सिकरवार, प्रेमबाबू शर्मा, एके पांडे, आरए चौबे व मनोहर वर्मा के नाम शामिल हैं। सलेक्शन ग्रेड सुशांत कुमार सक्सेना, आशीष, आरएस डेहरिया व संजय तिवारी के नाम शामिल हैं।
एमपी में एसीएस के दो नए पद मंजूर
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आईएएस अधिकारी सलीना सिंह जल्द ही अपर मुख्य सचिव (एसीएस) बनेंगी। सुश्री सिंह मप्र कैडर की 1986 बैच की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी है। मंगलवार को आयोजित कैबिनेट मीटिंग में एसीएस के दो नए पदों को मंजूरी दे दी है। इसको मिलाकर अब एसीएस के मप्र में 16 पद हो जाएंगे। विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बुलाई जाएगी। इस बीच सलीना सिंह के अलावा एक पद एसीएस पद का लाभ 1986 बैच के बीआर नायडू को भी मिलेगा। नायडू पूर्व में अपर मुख्य सचिव पद पर सशर्त प्रमोट हुए थे कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वरिष्ठ 1985 बैच के एम गोपाल रेड्डी के लौटने के बाद वे रिवर्ट हो जाएंगे।
रेड्डी के लौटते ही उन्हें एसीएस पद पर प्रमोट करने के बाद राजस्व मंडल ग्वालियर में प्रशासनिक सदस्य बनाया गया। इसके बाद नायडू को प्रमुख सचिव पद पर रिवर्ट करने की बजाए राज्य सरकार ने दो साल के लिए एसीएस के दो नए पद मंजूर कर दिए। इसका फायदा यह होगा कि नायडू को रिवर्ट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वन विभाग के अपर मुख्य सचिव 1985 बैच के अधिकारी दीपक खांडेकर जल्द ही केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले हैं। माना जा रहा है कि वे जनवरी में दिल्ली जा सकते हैं। उनका पद खाली होने का लाभ 1987 बैच के अधिकारी मनोज श्रीवास्तव को मिलेगा। वे अभी वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ हैं।
मंडलोई क्यों हैं शर्मिंदा
उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में आयुक्त नीरज मंडलोई ने कहा कि पटवारी की परीक्षा के लिए 10 लाख से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें पीएचडी, एमफिल सहित उच्च शिक्षित युवाओं की संख्या लाखों में है। यह शर्म से सिर झुकाने वाली स्थिति है। समीक्षा बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोग पटवारी की परीक्षा दे रहे हैं। वह अपनी डिग्री के अनुसार खुद कोई काम क्यों नहीं कर पा रहे हैं। युवा स्वयं को खुद के रोजगार से क्यों नहीं जोड़ पा रहा है। इस पर चर्चा हुई। समीक्षा बैठक में विसंगति को दूर करने पर चर्चा हुए।
अबकि अटके गौरव
CG के भारतीय प्रशासनिक सेवा 95 बैच के अधिकारी गौरव द्विवेदी और सरकार की पटरी नहीं बैठ रही है। 27 नवंबर को वह मंत्रालय में ज्वाईनिंग दे चुके हैं। लेकिन, पांच दिन गुजरने के बाद भी उनकी पोस्टिंग नहीं हो पाई है। उनसे पहले अमिताभ जैन और अमित अग्रवाल का मामला भी लोग भूले नहीं है। दोनों को 15 दिन से महीने भर तक इंतजार करना पड़ गया था। तब जाकर उनकी पदस्थापना हुई थी।
महत्वपूर्ण यह है कि इस दौरान लगातार नियुक्तियां हो रही हैं। रोहित यादव को जीएडी सिकरेट्री का आर्डर निकला। आईएफएस एके द्विवेद को जलग्रहण एजेंसी का सीईओ बनाया गया। 29 नवंबर को सुनील कुजूर का प्रशासन अकादमी के महानिदेशक का आदेश हुआ। लेकिन, गौरव द्विवेदी की स्थिति पेंडुलम जैसे हो गई है। गौरव कोरबा और बिलासपुर के कलेक्टर रहे। मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना में डा0 आलोक शुक्ला के साथ मिलकर उन्होंने काफी काम किया था। इसके लिए उन्हें भारत सरकार से सम्मान भी मिला था। लेकिन, 2008 चुनाव के दौरान गौरव जब ज्वाइंट इलेक्शन कमिश्नर थे, सरकार से समीकरण कुछ गड़बड़ा गया था। चुनाव में बीजेपी जब फिर से सरकार बनाने में कामयाब हो गई तो वे और उनकी पत्नी मनिंदर कौर द्विवेदी प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। डेपुटेशन भी उनका साल-दर-साल बढ़कर पांच साल से आठ साल हो गया। हालांकि, उनकी पत्नी यहां ज्वाइंनिंग के साथ ही चाईल्ड केयर लीव के लिए अप्लाई कर दिया है। ब्यूरोक्रेसी में इस बात की उत्सुकता है कि गौरव की पोस्टिंग कब तक हो पाती है।
कर्णावत की कोविंद से गुहार
बर्खास्त आईएएस शशि कर्णावत ने बर्खास्तगी को चुनौती राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने दी है.उन्होंने कोविंद से मुलाकात कर उन्हें वास्तविकता से अवगत कराया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति को यह भी बताया कि मप्र सरकार ने किस तरह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्हें प्रताड़ित किया.राष्ट्रपति ने कर्णावत की सभी बातें गंभीरता से सुनी और उन्हें इस मामले में जांच कराने और न्याय दिलाए जाने का भरोसा दिया है। कर्णावत ने पिछले दिनों राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था, जिसके बाद उनकी पिछले दिनों मुलाकात हुई। कर्णावत ने राष्ट्रपति को वे दस्तावेज भी दिखाए, जिनके आधार पर उन्हें दोषी करार दिया गया। गौरतलब है कि अपनी बर्खास्तगी के विरूद्ध शशि कर्णावत ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को चुनौती दी थी कि अब वे इस बर्खास्तगी के विरूद्ध सड़कों पर उतरेगी तथा किसी भी हद तक जा सकती है। एमपी कैडर 1999 बैच की आईएएस अफसर कर्णावत को प्रिंटिंग घोटाले में दोषी करार दिये जाने पर बर्खास्त कर दिया गया है। 1999-2000 में मंडला जिला पंचायत सीईओ रहते हुए 33 लाख के प्रिंटिंग घोटाले के आरोप में ईओडब्ल्यू ने कर्णावत के खिलाफ केस दर्ज किया था। स्पेशल कोर्ट ने कर्णावत को 5 साल सजा सुनाई थी। सितंबर 2013 में वहीं के स्पेशल कोर्ट ने कर्णावत को 5 साल जेल और 50 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके अगले माह ही उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। तब से उनको 11 बार निलंबन आदेश बढ़ाया जा चुका था। इससे पहले एमपी कैडर के आईएएस अधिकारी दंपती अरविंद जोशी और टीनू जोशी को भी भ्रष्टाचार के चलते बर्खास्त किया जा चुका है।
डबास का बांग्ला करवाया खाली
रिटायर्ड IFS आजाद सिंह डबास का सरकारी आवास सी-20 शिवाजी नगर को सरकार ने खाली करा लिया । बताया गया है कि IFS आजाद सिंह डबास जनवरी 2017 में रिटायर हो गए थे। नियमानुसार उन्हें 6 महीने तक सरकारी आवास में रहने की पात्रता थी। जुलाई में पात्रता खत्म होने के बाद भी जब डबास ने अपना सरकारी बंगला खाली नहीं किया, तो उनके खिलाफ बेदखली प्रकरण दर्ज कर शो कॉज नोटिस दिया गया था।
इसके बाद डबास द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं मिलने और शासन द्वारा कोई दिशा निर्देश नहीं मिलने की स्थिति में गुरुवार को डबास का सरकारी बंगला खाली करा लिया गया। आजाद सिंह डबास ने सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया है। उन्होंने सरकार को दिए अपने रीप्रेजेन्टेशन में रिटायरमेंट के बाद भी सरकारी बंगलों में रह रहे अफसरों की भांति उनको भी रहने की मांग की थी। सरकार ने डबास के रीप्रेजेन्टेशन को स्वीकार नहीं किया। आजाद सिंह डबास ने आगे कहा कि वह जल्द ही हाईकोर्ट में सरकारी मकानों के आवंटन और बेदखली में ट्रांसपेरेंसी लाने के लिए एक जनहित याचिका लगाएंगे।
ये क्या इतनी शिकायतें
राज्य के 29 आईपीएस अफसरों के खिलाफ सालों से चल रही जांच की आज तक रिपोर्ट नहीं आ सकी है। इन अफसरों के खिलाफ पुलिस मुख्यालय की सीआईडी विजिलेंस शाखा में शिकायतें हैं। अधिकांश शिकायतें जुआ-सट्टे को बढ़ावा देने, पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार संबंधी हैं। इनमें से कई शिकायतें को सालों से लंबित हैं। एक एसपी के खिलाफ 2006 से जांच चल रही है, जिसमें फर्जी जाति प्रमाण पत्र और दो पत्नियों संबंधी आरोप हैं। आयुक्त आदिवासी विकास मप्र छानबीन समिति भोपाल द्वारा जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जा चुका है लेकिन इसके विरुद्ध हाईकोर्ट के स्टे के चलते दो पत्नी के मामले में शासन ने आरोप मांगा है जो पीएचक्यू की प्रशासन शाखा में लंबित है।
ये कैसी क्लीन चिट
अरे ये क्या एक आईपीएस अफसर के खिलाफ जुआ-सट्टा, अवैध शराब और खुलेआम वसूली की शिकायतें थीं, फिर भी उन्हें कैसे क्लीनचिट मिल गई वहीं एक डॉक्टर से 10 लाख रुपए लेने ही विचाराधीन है। ऐसे ही लेनदेन के मामले में फंसे आईपीएस अधिकारी की दो शिकायतें थीं जिनमें से एक पुणे की महिला से दस लाख रुपए लेने और एक गलत विवेचना की थी। लेकिन उसमें खात्मा लगा दिया अब अदालत के आदेश पर इसे पुन: विवेचना में लेना पड रहा है।
जीएडी क्यों खफा
संभागायुक्तों द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के अधिकार का प्रयोग नहीं किए जाने को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग नाराज है। जीएडी ने इस बारे में सभी संभागायुक्तों एवं कलेक्टरों को परिपत्र लिखकर अपने अधिकारों का प्रयोग करने और इस तरह के प्रकरण जीएडी को ना भेजने के निर्देश जारी किए है। विभाग का कहना है अधिकारों का प्रयोग प्रथम श्रेणी एवं द्वितीय श्रेणी अधिकारियों के विरुद्व करें और भविष्य में इस तरह के प्रकरण नहीं भेजे।
बयान से उड़ी अफसरों की नींद
पिछले दिनों प्रदेश भाजपा की ओर से जारी एक बयान को लेकर राज्य के प्रशासनिक अमले के होश उड़ गए हुआ,यूं कि नंदकुमार चौहान द्वारा बयान में कहा गया कि सरकार ने किसानों को डिफाल्टर होने से बचाने के लिए 12 हजार करोड़ की सब्सिडी का भुगतान बैंकों को कर दिया है। इसके बाद कृषि और सहकारिता विभाग हरकत में आया उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि यह निर्णय कब हो गया। वहीं बैंकों ने सब्सिडी के लिए अधिकारियों से संपर्क करना शुरू कर दिया।
महिला अफसर ने सुरक्षा मांगी
मध्य प्रदेश कैडर की 2013 बैच की आईएएस अधिकारी हैं सोनिया मीणा उन्हें रेत माफिया ने जेल के अंदर से जान से मारने की धमकी दी है । उन्होंने इसकी शिकायत मुख्य सचिव और डीजीपी से करते हुए सुरक्षा की मांग की है। उन्हें गवाही देने के लिए छतरपुर जाना है। जहां उन्होंने एसडीएम रहते कार्रवाई की थी,जेल में बंद ही माफिया अब उन्हें धमका रहा है। जब यह कार्रवाई हुई थी,तब उसने समर्थकों साथ राइफल तानकर सोनिया को धमकाया था। वह गाली गलोज कर रेत से भरे ट्रैक्टर छुड़ाकर ले गया था।
उत्पादन से ज्यादा खरीद गया प्याज
मप्र में किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार ने प्याज खरीदी का ताबड़तोड़ निर्णय लिया। 23 जिलों में 68 खरीद केंद्रों से प्याज की खरीदी शुरू की गई। इसे आसपास के जिलों में बिक्री के लिए भेजा जा रहा है। इस प्याज को व्यापारी खरीदकर 68 खरीद केंद्रों पर पहुंचा रहे हैं। जहां बार-बार प्याज की खरीदी हो रही है जिसके कारण मध्यप्रदेश में उत्पादन से 4 गुना ज्यादा प्याज समर्थन मूल्य पर खरीद लिया गया। पिछले साल 4 जून से 30 जून तक सरकार ने 10 लाख 40 हजार मि्ंटल प्याज खरीदी थी। इस साल सरकारी खरीद केंद्रों से 25 लाख मि्ंटल से अधिक प्याज की खरीदी हो चुकी है। प्याज को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से बेचने का निर्णय लिया गया था। किंतु यह प्याज मंडियों में नीलाम करके बेची जा रही है।